मनन ......
" अध्यात्म "....एक खोज !!!! ....कर्णप्रिय - विषय ..आजकल .....
मुझसे किसी ने ऐसी किताब के बारे में पूछा जो इस ओर , उसे ले जा सके या बता ही सके ....तब मेरे मन यह प्रश्न आया क्या कोई किताब यह सिखा सकता है .... ये एक मानव की इंसानियत की स्वयं के द्वारा खोज है ....यह तो खुद की भी खोज हो सकती है ......या ये आंतरिक तौर पर समझने का विषय है ????...जिसे हम स्वतः ही जन्म ....पनपा ....अंकुरित ...रोपण या इसका खुद से ही अपने जीवन में अनावरण हटा सकते हैं .....यह विषय मुझे भी और मेरे मन में भी कई बार " कौंधता " रहता है ...चलता है ......या हम इसे मानसिक तौर पर किया गया गहन अध्यन , सोच , समझ, कर्म और "मैं " से ऊपर उठ कर ???? की सोच ....जो समय , अनुभव और उम्र से जीवन में आने वाली स्थिति के अनुसार मान लें ......अपितु इसे ईश्वरीय कृपा मान लें ......
मुझे तो यह एक प्रक्रिया लगती है, जितना डूबेंगे उतना , उतना उबरेंगे .....हाँ अच्छी किताबें भी सहायक हो सकतीं हैं .....मैंने जितना अपने स्तर से समझा है ..... सुख , शान्ति , समन्वय , सामंजस्य ,सोच , स्थिरता , समभाव , सहभागिता ....आदि ...आदि ...की बढ़ोतरी का पथ है .....
[बस यूँ ही एक विचार ...]
.........प्रार्थना ..........
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