Tuesday 1 November 2011

मुझे तो लगता है.....
बस तू तो है धरा
सहती है...सहजती है...
जननी है
बन के बहती गँगा कि धारा सी
कहाँ से उपजी और कहाँ अंत ...
तेरा सिर्फ मौन ही स्वीकारा जायेगा
क्यों कि
तू माँ है
तू बेटी है
तू भार्या है
तू बहन है....हर रूप में तू आश्रित है.....