Sunday 28 August 2011

किसी से मिल के हम ना मिले
जब तक हम तुम से ना मिले.....

यूँ तो मिले हर बार तुमसे
खो कर अपने आप को तुमसे....
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ललक बढती ही जा रही है
मृग-तृष्णा भटकाती ही जा रही है....

दुनिया करे सवाल,कहाँ हो इस हाल
कैसे कहूँ ?मौन के आनंद में हूँ फिलहाल....