तेरे नयनों में जैसा प्रेम
अपने लिए कहाँ पाती हूँ,
मुझे हर नयन रीता ही लगता है....
तुझ से एकाकार होने में
मैं स्वयं खो जाती हूँ,
मुझे हर मिलन झूठा ही लगता है
तेरी स्थिरता के आगे
मैं तुझे पा जाती हूँ,
मुझे हर पल ही शून्य लगता है.....
तेरी शक्ति-संचार के आगे
मैं अपने में तेरा एहसास पाती हूँ ,
मुझे तब अपना जीवन ही "एक-भ्रम" लगता है....
अपने लिए कहाँ पाती हूँ,
मुझे हर नयन रीता ही लगता है....
तुझ से एकाकार होने में
मैं स्वयं खो जाती हूँ,
मुझे हर मिलन झूठा ही लगता है
तेरी स्थिरता के आगे
मैं तुझे पा जाती हूँ,
मुझे हर पल ही शून्य लगता है.....
तेरी शक्ति-संचार के आगे
मैं अपने में तेरा एहसास पाती हूँ ,
मुझे तब अपना जीवन ही "एक-भ्रम" लगता है....