तेरा स्नेह पा मैं धन्य हुई,
जो तूने हृदय में प्रेम भर दिया .....
इस रीते घट में आनन्द भर दिया,
जो हर पल छ्लके मेरे नयनों से
अपनी प्रेम-बोछार से भिगो दिया....
तन-मन तृप्त हुए जैसे,अम्बर की फुहार से धरा
सभी को अपने हृदय में पाया,
देखा -तू हर हृदय में समाया....
यही तो है तेरी "प्रेम की मंजुषा "
न निकलूँ कभी यही है "मेरी -आशा ".....
जो तूने हृदय में प्रेम भर दिया .....
इस रीते घट में आनन्द भर दिया,
जो हर पल छ्लके मेरे नयनों से
अपनी प्रेम-बोछार से भिगो दिया....
तन-मन तृप्त हुए जैसे,अम्बर की फुहार से धरा
सभी को अपने हृदय में पाया,
देखा -तू हर हृदय में समाया....
यही तो है तेरी "प्रेम की मंजुषा "
न निकलूँ कभी यही है "मेरी -आशा ".....