Monday 19 March 2012

"यात्रा"
मैं यात्री हूँ ,
अभी सफ़र पर हूँ.....
हर सुबह नया सवेरा,
हर साँझ नई आस.....
हर पल से जूझती हुई,
हर पल को खोजती हुई....
कशमकश के द्व्न्द को सोचती
फिर एक,मन की उड़ान भरती....
आ जाती हूँ,जीवन के धरातल पर,
मन के बोझ को हल्का कर....
हर नया यात्री कुछ सिखा जाता,
जो छूता वो मन में रह जाता.....
हर ठहराव तसल्ली दे जाता
और आगे बढने को कह जाता....
हाँ!!! मैं चलायमान हूँ
निरंतर चलना ही गति है.....
क्योंकि कि मैं "यात्री "हूँ
अभी यात्रा पूरी करनी है......