Monday 20 May 2013

ये कोई मामूली " रंग " नहीं ,
सोच के समभाव के प्रतीक हैं ये .....
मन में , हैं जब ऐसे फूल खिलें 
तो मन गहराई में शाँत हो कर 
विचरण कर , लगे खुद से पूछने
अपने वजूद के होने के प्रश्न ??...
इसी रंग में आना और जाना .....
अपनी नियति से ना लड़ो
न उलझो बहते रुख से
खुद को बहा लो थामे पतवार ....
...... प्रार्थना ..