Friday, 30 November 2012

मनन ...
"अच्छा और बुरा " को कैसे मापा जाये ?
जो मेरे लिए अच्छा  है वो किसी के लिए बुरा .....या फिर मैं स्वयं  ही ..........तो उसे क्या कहा जाये ? ....इसी तरह जिसे भूख लगने से पहले ही निवाला मिल जाये और एक को चुराना  उसकी विवशता बन जाये [हमारे जैसे गरीब देश में] तो ऐसी स्थिति  में 
क्या कहा  जाये?...एक बच्चा जिसे सभी चीजें मिलीं हों ,वह चोरी क्यों करेगा ????....जिसे सुबह से ही बोरी दे कर कूड़े में से प्लास्टिक और शीशियाँ बीनने भेज दिया जाता हो वह क्या अच्छी बातें करेगा या क्या कभी सीख पायेगा ????......"भूखे  पेट ना होय भजन गोपाला"........उससे अच्छे नागरिक बनने की उम्मीद कैसे की जाये ? हम यही कह देते हैं ....यह अरे ये तो ऐसे हैं .....इनसे दूर रहो..........अच्छी बातें....ज्ञान......परिवार ......आर्थिक स्थितियाँ ......माहोल ......इंसान को अच्छा और बुरा बनने  पर कभी-कभी विवश भी कर देतीं हैं......खुशनसीब हैं वो जिन्हें "अच्छा  माहोल और परिवार की परवरिश " मिली .......[बस यूँ ही एक विचार ...]
.........प्रार्थना......

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