मनन
"ईच्छाशक्ति "....मनुष्य को चलायमान रखती है अर्थार्त उसके जीवन को गति देती है और नवसंचार भी करती रहती है | यह बोध भी , स्वयं के होने का कराती है कि आप हो...यह भी तो जानना जरुरी या इसका एहसास कि आप विषय वास्तु ना हो कर एक ईश्वरीय स्वरूप हो, जिस का संचार ईश्वरीय माध्यम से होता है |अपनी शक्ति को ईश्वरीय , इच्छाशक्ति में बदल कर ,
उसको कर्म , सोच और विचार में बनाकर गति शीलता देना तभी उसका वास्तविक स्वरूप , हम में प्रकट होगा......कृष्ण कहतें हैं ... कि मैं सभी प्राणी - जीव जंतु में वास करता हूँ .....तो क्यों न खुद को और अपनी इच्छाशक्ति को सशक्त माध्यम बना कर ईश्वरीय औरा [aura] में , स्वयं को समाहित क्या जाये.....
.......प्रार्थना......
"ईच्छाशक्ति "....मनुष्य को चलायमान रखती है अर्थार्त उसके जीवन को गति देती है और नवसंचार भी करती रहती है | यह बोध भी , स्वयं के होने का कराती है कि आप हो...यह भी तो जानना जरुरी या इसका एहसास कि आप विषय वास्तु ना हो कर एक ईश्वरीय स्वरूप हो, जिस का संचार ईश्वरीय माध्यम से होता है |अपनी शक्ति को ईश्वरीय , इच्छाशक्ति में बदल कर ,
उसको कर्म , सोच और विचार में बनाकर गति शीलता देना तभी उसका वास्तविक स्वरूप , हम में प्रकट होगा......कृष्ण कहतें हैं ... कि मैं सभी प्राणी - जीव जंतु में वास करता हूँ .....तो क्यों न खुद को और अपनी इच्छाशक्ति को सशक्त माध्यम बना कर ईश्वरीय औरा [aura] में , स्वयं को समाहित क्या जाये.....
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