मनन
"विश्वास "....यह मुझे , एक सतत चलने वाली प्रक्रिया लगती है और वह भी जीवन परयन्त्र......यह एक ऐसी नैया है जिसमें बैठ कर ही उसके होने ना होने पता लगता है.....वरन नहीं....कभी हम हार जातें हैं ...जीतते -जीतते और कभी जीत जातें हैं....हारते-हारते....यह भी एक मन:स्थिति जैसी है....बदलती ...रूकती.........खोती...पाती.. और बहती है....और हाँ!!! धोखा भी है....जहाँ विश्वास नाम मात्र को है....नींव अच्छी
"विश्वास "....यह मुझे , एक सतत चलने वाली प्रक्रिया लगती है और वह भी जीवन परयन्त्र......यह एक ऐसी नैया है जिसमें बैठ कर ही उसके होने ना होने पता लगता है.....वरन नहीं....कभी हम हार जातें हैं ...जीतते -जीतते और कभी जीत जातें हैं....हारते-हारते....यह भी एक मन:स्थिति जैसी है....बदलती ...रूकती.........खोती...पाती..
ना होने पर....क्यों कि स्वाभाविक है....नींव अच्छी ना होने पर ...ढह जाएगी ही....स्वार्थ निकल जाने पर...पल भर नहीं टिकती ...कारागार नहीं है......
सबसे पहले इसका आधार मजबूत रकना होगा , जिसमें स्वार्थ न हो कर ..समय पर डटे रहना ....सबल सहारा बनने...वक्त पर काम आना ....अपनी मौजूदगी की उपस्थिति से मजबूती देना....आदि-आदि....तभी इसका अंकुर फूटता है....और वृक्ष बनता है.....फल अवश्य ही मीठा होगा....
विश्वास के बल पर ही कबीर ... सूर ...मीरा....आदि ने सद्गति पाई और भगवत प्राप्ति पाई.....इसलिए आशंका अंश मात्र भी नहीं है...कि वो घट-घट वासी है....यह हम इंसानों में भी बन और मिल सकती है....
घट-घट वासी , घट-घट- में बिराजे
नैया मेरी विश्वास पे तेरे चले
माँझी बन और पतवार सम्हाल
चाहे तो उतार या चाहे लगा पार
तू चाहे या ना चाहे कान्हा
मैं तो बिराजी तेरी ही धुन रमाये......
.......प्रार्थना.......
सबसे पहले इसका आधार मजबूत रकना होगा , जिसमें स्वार्थ न हो कर ..समय पर डटे रहना ....सबल सहारा बनने...वक्त पर काम आना ....अपनी मौजूदगी की उपस्थिति से मजबूती देना....आदि-आदि....तभी इसका अंकुर फूटता है....और वृक्ष बनता है.....फल अवश्य ही मीठा होगा....
विश्वास के बल पर ही कबीर ... सूर ...मीरा....आदि ने सद्गति पाई और भगवत प्राप्ति पाई.....इसलिए आशंका अंश मात्र भी नहीं है...कि वो घट-घट वासी है....यह हम इंसानों में भी बन और मिल सकती है....
घट-घट वासी , घट-घट- में बिराजे
नैया मेरी विश्वास पे तेरे चले
माँझी बन और पतवार सम्हाल
चाहे तो उतार या चाहे लगा पार
तू चाहे या ना चाहे कान्हा
मैं तो बिराजी तेरी ही धुन रमाये......
.......प्रार्थना.......
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