Friday 28 October 2011

मेरी अभिलाषा....

किसी के ह्रदय के कोने में जगह पाऊँ,
किसी की यादों में आ के थोड़ा जी जाऊँ,
किसी किताब को पलटते ही दिख जाऊँ,
किसी के नैनों में नीर बन भर जाऊँ,
किसी साँसों में आ एहसास पा जाऊँ
और
मैं....समय की मुट्ठी से,रेत की तरह ढुलक जाऊँ......

2 comments:

  1. कोमल अभिलाषाएं हैं... यूँ ही बनी रहे!

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