मेरे सुखसागर के
नीर - नभ - वसुंधरा - पवन - अग्नि ,
मुझ में समाते हैं .....
और समय-समय पर
अपना प्रभाव मुझ में दिखला कर
अक्सर शाँत हो जाते हैं
और उनके बचे हुए अवशेषों को
सहज लेतीं हूँ अपने आँचल में .....
जो मुझे सिखा जाते
जीवन को बेहतर बनाने की कला ......
.....प्रार्थना .........
नीर - नभ - वसुंधरा - पवन - अग्नि ,
मुझ में समाते हैं .....
और समय-समय पर
अपना प्रभाव मुझ में दिखला कर
अक्सर शाँत हो जाते हैं
और उनके बचे हुए अवशेषों को
सहज लेतीं हूँ अपने आँचल में .....
जो मुझे सिखा जाते
जीवन को बेहतर बनाने की कला ......
.....प्रार्थना .........
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