Saturday, 6 April 2013

चलो ..सोच का .......
एक मुक्कमल जहान  बसायें 
शाँत तरुवर सा हृदय बनायें और कमल बन  खिल जाएँ ....
उसमें शशि के प्रतिबिम्ब जैसा ठहराव लायें और चकोरी जैसी एकाग्रिता दिखाएँ ..... 
मन - हंस बन यह जीवन जियें और ज्योत्स्ना बन बिखरें चहुँ ओर .....
.......प्रार्थना ..........

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