Thursday, 11 April 2013

मनन ....
" शक्ति "......रूप में ...." माँ " का ही परिचायक शब्द है ......इसका अर्थ सिर्फ शक्तिरुपेण , निद्रारूपेण , बुद्धिरूपेण , शांतरूपेण ...नहीं वरन समस्त ऊर्जाओं का समावेश है , जिससे हम और सृष्टि बंधे हुए हैं .....जिस तरह शक्ति बिन कुछ भी संभव नहीं और बिना संचार हुए किसी की गति नहीं ....यह समस्त प्राणियों में जिजीवीशिका का साधन है , जिसमें कर्म की नित्य ही आहुतियाँ देनी पड़तीं हैं ....
हे जीवनदायनी माँ !!!
बस यूँ ही हम में , अपनी ऊर्जा के स्त्रोत के रूप में बहती रहना .....
[बस यूँ ही एक विचार ...]
.........प्रार्थना ......

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