Saturday, 17 March 2012

माँ!!
जब तुझे याद करूँ
तो समय रुका सा पाऊँ
लगता है ही नहीं कि तुम नहीं हो....
मुझे स्वयं को समझाना पड़ता है
कि दूर जा चुका,तुम्हारा वजूद है
पता नहीं ये मेरे जीवन का कौन सा पड़ाव है.....
एक खालीपन का एहसास है
यादों से भरी झुरमुट की साँझ है
"मेरी रानी बेटी" दूर से कोई बुलाये,बस आस है .....
अश्रु बहा हल्की हो उठती हूँ
तेरी हँसी को याद क्र के थोडा हँस भी लेती हूँ...