कभी जो हम अपने नहीं हुए और अपने आप के ही हो जाना ....
भाने लगा है अब .....
साहिलों की खोज में रहे और मोंजों में घुलना -मिलना ....
आने लगा है अब ....
मंजिल की तलाश में रहते और राह में खोते रहना ही ....
भाने लगा है अब ......
ये जो मन चंचला बन थिरकता और बिन मचले ही स्वयं को .....
थामे रहता है अब .......
......प्रार्थना .......
भाने लगा है अब .....
साहिलों की खोज में रहे और मोंजों में घुलना -मिलना ....
आने लगा है अब ....
मंजिल की तलाश में रहते और राह में खोते रहना ही ....
भाने लगा है अब ......
ये जो मन चंचला बन थिरकता और बिन मचले ही स्वयं को .....
थामे रहता है अब .......
......प्रार्थना .......