Monday, 19 November 2012

साहिलों को देख मुकाम नहीं मिला करते 
पतवार चलाते -चलाते ही ये पल हैं गुजरते 
किनारों पर बैठ लहरों को गिनने से नहीं 
लहरों को अपने में समाकर ही जीना 
क्यों कि ...जीवन रूपी किनारे नहीं रहते एक से सदा....
........प्रार्थना ........

1 comment:

  1. बहुत सुंदर भावनायें और शब्द भी ...बेह्तरीन अभिव्यक्ति ...!!शुभकामनायें.
    आपका ब्लॉग देखा मैने और कुछ अपने विचारो से हमें भी अवगत करवाते रहिये.

    दीपावली की हार्दिक शुभकामनाये आपको और आपके समस्त पारिवारिक जनो को !

    मंगलमय हो आपको दीपो का त्यौहार
    जीवन में आती रहे पल पल नयी बहार
    ईश्वर से हम कर रहे हर पल यही पुकार
    लक्ष्मी की कृपा रहे भरा रहे घर द्वार..

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