यूँ तो मैंने खुद का जीवन जिया ही कब ???
पहले बीस संस्कारों वाली बेटी बनने में गुजारे
फिर अच्छी बहू बनने की चाह में जुट गई ,
बीच-बीच में पत्नी होने को भी खोजती रही
हाँ अब "माँ " कि बारी में पल -पल के हिसाब से जीती चली गई
हो गए हैं वो आत्म -निर्भर ....
आदत से हूँ मजबूर , ढूंढ रही फिर से कोई
पलों को बिताने का बहाना...............
पहले बीस संस्कारों वाली बेटी बनने में गुजारे
फिर अच्छी बहू बनने की चाह में जुट गई ,
बीच-बीच में पत्नी होने को भी खोजती रही
हाँ अब "माँ " कि बारी में पल -पल के हिसाब से जीती चली गई
हो गए हैं वो आत्म -निर्भर ....
आदत से हूँ मजबूर , ढूंढ रही फिर से कोई
पलों को बिताने का बहाना...............
बढ़िया प्रस्तुति |
ReplyDeleteहकीकत है-
बदलनी चाहिए-
आभार ||