Wednesday, 28 November 2012

ना बिखरो तुम इस जीवन की पगडंडीयों पर 
ना चुरा सकेगा कोई तुम्हारे मन की सोच -विचार 
ना मिटा सकेगा तुम्हारे होने का वजूद - अस्तित्व 
ना हिला सकेगा तुम्हारे चित की शान्ति - चैन 
बस तू चल -चली ...चल ....डगर पर 
जीवन की सार्थकता लिए ....अपने हृदय में .....
......प्रार्थना ......

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