Tuesday, 16 August 2011

मैं

तुझसे और क्या माँगू  ?

जब मेरे नैनों का आँचल ही भीग जाता है...

तुझसे और क्या चाहूँ?

जब मेरी चाहत का प्याला ही छलक जाता है.....

तुझसे और क्या सुनूँ ?

जब मेरे ध्यान में तेरी, मौन की गूंजें भर जाती हैं....

तुझसे और क्या पाऊँ ?

जब मुझे स्वयं में ही खो जाने को जी चाहता है....

तुझसे और क्या अरज करूँ?

जब मेरा हृदय ही तेरे प्रेम से भर जाता है....

2 comments:

  1. ईश्वर से प्रश्न और उनका उत्तर संतुष्टि के भाव का परिचय बहुत सुंदर

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  2. तुझसे और क्या अरज करूँ?

    जब मेरा हृदय ही तेरे प्रेम से भर जाता है....

    हृदयस्पर्शी पंक्तियाँ

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