Sunday, 17 February 2013

परछाई बन चलूँ सदा तेरे पीछे 
और ये मन अब क्या चाहे तुझसे ......
प्यासी बनी रहूँ सदा तेरे ही प्याले की 
और ज्यों-ज्यों पियूँ , ललक बढती ही जावे .....
कहा करूँ बस में नहीं मेरे , मन के पीछे जोगन बन सी फिरूँ ......
..........प्रार्थना .....

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