हृदय की बंजर जमीं पर,जब भक्ति की स्नेह वर्षा होती है तो कुछ अंकुर स्वतः ही फूट पड़ते हैं.....उन पल्लवों पर कुछ ओस की बूँदें भावना बन कर उभर जातीं हैं.....बस ये वही आवेग हैं......
Wednesday, 13 February 2013
मेरा "प्रेम" तो है खिला - सा , श्वेत पंखुरीयों - सा और तुम हो आधार - धुरी - से मेरे , केसरिया-रंगे - सांवरे - से....... ...........प्रार्थना ...........
बढ़िया है मन की बात-
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