"माटी की कहानी"...
माटी ने भी कब, कभी
और कहाँ है अपनी सुनाई....
माटी, नदी और नारी
की है एक-सी ही कहानी....
हरी है सदा ही पीर -पराई
और
अपना के तूने है अपनी शक्ति बढ़ाई....
उपजाऊ-बन ,वंश-बेल है सदा लहराई
जीवन-स्त्रोर बन है सदा गहराई....
माटी ने भी कब, कभी
और कहाँ है अपनी सुनाई....
माटी, नदी और नारी
की है एक-सी ही कहानी....
हरी है सदा ही पीर -पराई
और
अपना के तूने है अपनी शक्ति बढ़ाई....
उपजाऊ-बन ,वंश-बेल है सदा लहराई
जीवन-स्त्रोर बन है सदा गहराई....
माटी तो, है माटी
जिसमें रची है जीवन की सच्चाई ....
कहती है सदा----
मैं हूँ सदा के लिए ,तेरे साथ
क्यूँ घबराता है विश्वास ले मेरा
और
पथ पर बढ़ चल
दूर नहीं है अब तेरा सवेरा.....
.....प्रार्थना.....
जिसमें रची है जीवन की सच्चाई ....
कहती है सदा----
मैं हूँ सदा के लिए ,तेरे साथ
क्यूँ घबराता है विश्वास ले मेरा
और
पथ पर बढ़ चल
दूर नहीं है अब तेरा सवेरा.....
.....प्रार्थना.....
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