किसी से मिल के हम ना मिले
जब तक हम तुम से ना मिले.....
यूँ तो मिले हर बार तुमसे
खो कर अपने आप को तुमसे....
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ललक बढती ही जा रही है
मृग-तृष्णा भटकाती ही जा रही है....
दुनिया करे सवाल,कहाँ हो इस हाल
कैसे कहूँ ?मौन के आनंद में हूँ फिलहाल....
प्रार्थना जी, कमाल के हैं आपके ब्लॉग। कृष्ण भक्ित से रंगे हुए।
ReplyDeleteबहुत अच्छा लगा। धन्यवाद।
मौन के आनंद में हूँ फिलहाल.... bahut achche......
ReplyDelete♥
ReplyDeleteमौन के आनन्द ने विमुग्ध कर दिया …
आभार !
आपको सपरिवार
नवरात्रि पर्व की बधाई और शुभकामनाएं-मंगलकामनाएं !
-राजेन्द्र स्वर्णकार