तुझे पाया में इस तरह से कि.....
मेरा मोल कहाँ रहा, मैं तो अनमोल हुई .....
मेरा सुख कहाँ रहा, मैं तो आनन्द हुई....
मेरा दुःख कहाँ रहा ,मैं तो शांत हुई....
मेरा अँधेरा कहाँ रहा,मैं तो उजाला हुई....
मेरा अस्तित्व कहाँ रहा, मैं तो भगत हुई......
No comments:
Post a Comment