मेरा बचपन .....
मुझे याद
नहीं अपना बचपन
कुछ पलों के सिवा,
कुछ -भूला
कुछ -बिसरा
कुछ -चुप सा
था यह मन मेरा .....
कुछ पलों में खो भी जाऊँ
तो याद आता है
कि मैं चुप हूँ
और समय कि धारा बह रही है....
और हाँ !
माँ की मेरे प्रति और मेरी उनके प्रति कुछ भावनाएँ,
मुझे डर कि वह कहीं गुम ना हो जायें .......
मैंने सदा अपने आपको अपने आप में ,
सिमटा पाया कुछ पलों के साथ ,
जैसे सिमटे पड़े
कुछ ओस के मोती ,
किसी वृक्ष की डाली पर ....
और हाँ !
ReplyDeleteमाँ की मेरे प्रति और मेरी उनके प्रति कुछ भावनाएँ,
मुझे डर कि वह कहीं गुम ना हो जायें .......
मैंने सदा अपने आपको अपने आप में ,
सिमटा पाया कुछ पलों के साथ ,
जैसे सिमटे पड़े
कुछ ओस के मोती ,
किसी वृक्ष की डाली पर ....
अच्छी रचना ......
आपकी कविता को पढकर हमें अपना बचपन भी याद आ गया।
ReplyDeleteबहुत सुंदर कविता है, बधाई स्वीकारें।
................
नाग बाबा का कारनामा।
महिला खिलाड़ियों का ही क्यों होता है लिंग परीक्षण?
कहा जो वो दिल को छुआ , जो नहीं कहा , उसे आँखों में बन्द कर लिया
ReplyDeleteबहुत अच्छी प्रस्तुति संवेदनशील हृदयस्पर्शी मन के भावों को बहुत गहराई से लिखा है
ReplyDeleteबहुत सुन्दर भाव और अभिव्यक्ति के साथ उम्दा रचना लिखा है आपने! लाजवाब प्रस्तुती!
ReplyDeleteजैसे सिमटे पड़े
ReplyDeleteकुछ ओस के मोती ,
किसी वृक्ष की डाली पर ...
बेहतरीन
प्रार्थना जी, आपकी कविता पढकर हमें भी अपना बचपन याद आ गया।
ReplyDelete--------
सावन आया, तरह-तरह के साँप ही नहीं पाँच फन वाला नाग भी लाया।
Bahut sundar Bachpan ka chitran kiya aapne!!
ReplyDeleteapne vicharo or sujhawo k liye mere blog par swagat h.......
Jai Ho Mangalmay ho
bachpan..ek aisa vishay hai jis par jo bhi..jitna bhi likha jaye..keha-suna jaye..kam hai..jab bachpan hi apne aap mein sundar hai to us par likhi aapki ye rachna bhi utni hi sukhad hai..!
ReplyDeleteअति उत्तम रचना .....बचपन बहुत सुहाना होता है ...
ReplyDeletewah bahot achche.
ReplyDeleteबचपन की गलियों में
ReplyDeleteइधर उधर बिखरी
यादों को समेट लेने की अच्छी कोशिश
सुन्दर रचना
bahut hi sundar kavita
ReplyDeleteआपकी टिपण्णी के लिए आपका आभार ...अच्छी कविता हैं...बहुत अच्छी .
ReplyDeleteबहुत सुन्दर भाव और अभिव्यक्ति........अच्छी रचना ......!!
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