ये कोई मामूली " रंग " नहीं ,सोच के समभाव के प्रतीक हैं ये .....मन में , हैं जब ऐसे फूल खिलें तो मन गहराई में शाँत हो कर विचरण कर , लगे खुद से पूछनेअपने वजूद के होने के प्रश्न ??...इसी रंग में आना और जाना .....
अपनी नियति से ना लड़ो
न उलझो बहते रुख से
खुद को बहा लो थामे पतवार ....
...... प्रार्थना ..
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