मनन .....
"द्वंद "...क्या अच्छा है , क्या बुरा है , क्या गलत है , क्या सही है , क्या करना चाहिए था , क्या करना चाहिए और क्या नहीं ......ये सब वर्तमान परिस्थिति , मौके , हालात और उस समय निर्णय लेने पर निर्भर करता है ......जो ठीक लगा , वह किया ...इसलिए द्वंद में रहने से , दोषारोपण और स्वयं को दोषी मानने से बेहतर है कि हम आगे की सुध लें .....और ठोकर लगने से पहले ही सतर्क हो जायें ......
[ मेरी तो स्थिति बेहतर ही हुई है ...]
.....बस यूँ ही एक विचार ......
........प्रार्थना .......
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