मनन ...
"कृपा "....ईश्वरीय कृपा को कैसे महसूस करें और किस रूप में ....
किसी के लिए निस्वार्थ प्रार्थना और सेवा .....अगर आप कर पायें ,
किसी के मन को समझ कर उसे सही दिशा दिखलायें ... उसकी सोच ही बदल जाये ,
आपका मन अपने में ही रमने लगे......आप स्वयं ही के साथी बन जायें ,
आपको आपके जैसे ही लोग मिलने लगे .......स्नेह मिलने लगे ,
ऐसी ही कई और कृपा हैं , जो आप में कहीं ना कहीं किसी रूप में बहतीं हुई महसूस होगीं ..
कृपा का सही अर्थ तब है , जब आप ईश्वर का माध्यम बन जायें...उसकी करुणा आप में बहने लगे ...
............प्रार्थना .........
"कृपा "....ईश्वरीय कृपा को कैसे महसूस करें और किस रूप में ....
किसी के लिए निस्वार्थ प्रार्थना और सेवा .....अगर आप कर पायें ,
किसी के मन को समझ कर उसे सही दिशा दिखलायें ... उसकी सोच ही बदल जाये ,
आपका मन अपने में ही रमने लगे......आप स्वयं ही के साथी बन जायें ,
आपको आपके जैसे ही लोग मिलने लगे .......स्नेह मिलने लगे ,
ऐसी ही कई और कृपा हैं , जो आप में कहीं ना कहीं किसी रूप में बहतीं हुई महसूस होगीं ..
कृपा का सही अर्थ तब है , जब आप ईश्वर का माध्यम बन जायें...उसकी करुणा आप में बहने लगे ...
............प्रार्थना .........
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