Sunday, 10 February 2013

मनन ...
"कृपा "....ईश्वरीय कृपा को कैसे महसूस करें और किस रूप में ....
किसी के लिए निस्वार्थ प्रार्थना और सेवा .....अगर आप कर पायें , 
किसी के मन को समझ कर उसे सही दिशा दिखलायें ... उसकी सोच ही बदल जाये , 
आपका मन अपने में ही रमने लगे......आप स्वयं ही के साथी बन जायें ,
आपको आपके जैसे ही लोग मिलने लगे .......स्नेह मिलने लगे ,
ऐसी ही कई और कृपा हैं , जो आप में कहीं ना कहीं किसी रूप में बहतीं हुई महसूस होगीं ..
कृपा का सही अर्थ तब है , जब आप ईश्वर का माध्यम बन जायें...उसकी करुणा आप में बहने लगे ...
............प्रार्थना .........

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