हृदय की बंजर जमीं पर,जब भक्ति की स्नेह वर्षा होती है तो कुछ अंकुर स्वतः ही फूट पड़ते हैं.....उन पल्लवों पर कुछ ओस की बूँदें भावना बन कर उभर जातीं हैं.....बस ये वही आवेग हैं......
Thursday, 2 August 2012
तेरा ......प्रेम में ना जाने कैसा द्वन्द्ध है... ??...."कान्हा".....
तू ना मिले तो भी ये बहते हैं.....अधीर हृदय के.....मौन में .....
और मिले तो भी ये बहते ही... हैं.......तेरे प्रेम..... मगन-हृदय..... में.....
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